गुरुवार, 26 जून 2008

डर

मेरे पड़ोस मे गिलहरी आती है
मेरे घर मे भी गिलहरी आती है
मेरे पड़ोस मे गौरैया भी आती है
मेरे घर मे भी गौरैया आती है

मेरे पड़ोस मे कई तरह के भय आते हैं
मेरे पड़ोस मे कई तरह के अपराध होते हैं

मगर फिर भी मेरे पड़ोस मे
गौरैया और गिलहरी दोनों आते हैं

कभी कभी मेरे घर पर भी!

मित्रों, मैं अब क्या करूँ
मुझे अब गौरैया और गिलहरी
दोनों से डर लगने लगा है!!

शशि भूषण द्विवेदी

5 टिप्‍पणियां:

आशीष कुमार 'अंशु' ने कहा…

सुन्दर कविता

Raji Chandrasekhar ने कहा…

स्वागत हैं आप का ।
मैं केरल का एक ब्लोगर, मलयलम मैं और थोड़ा थोड़ा हिन्दी में भी ब्लोग्ता हूँ ।

pritima vats ने कहा…

समाज की सच्चाई को छूती हुई बहुत अच्छी कविता है।

Kumar Mukul ने कहा…

सहज लगी कविता जो जटिल स्थितियों को समाने ला रही है

Bahadur Patel ने कहा…

bahut hi achchhi kavita hai. badhai.