मेरे पड़ोस मे गिलहरी आती है
मेरे घर मे भी गिलहरी आती है
मेरे पड़ोस मे गौरैया भी आती है
मेरे घर मे भी गौरैया आती है
मेरे पड़ोस मे कई तरह के भय आते हैं
मेरे पड़ोस मे कई तरह के अपराध होते हैं
मगर फिर भी मेरे पड़ोस मे
गौरैया और गिलहरी दोनों आते हैं
कभी कभी मेरे घर पर भी!
मित्रों, मैं अब क्या करूँ
मुझे अब गौरैया और गिलहरी
दोनों से डर लगने लगा है!!
शशि भूषण द्विवेदी
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5 टिप्पणियां:
सुन्दर कविता
स्वागत हैं आप का ।
मैं केरल का एक ब्लोगर, मलयलम मैं और थोड़ा थोड़ा हिन्दी में भी ब्लोग्ता हूँ ।
समाज की सच्चाई को छूती हुई बहुत अच्छी कविता है।
सहज लगी कविता जो जटिल स्थितियों को समाने ला रही है
bahut hi achchhi kavita hai. badhai.
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